जौनपुर में आज भी माता अटाला देवी की मूर्ति अटाला देवी मंदिर में विराजमान होने की प्रतीक्षा में है।

 

अटाला देवी की मूर्ति 

उत्तर प्रदेश का जौनपुर शहर एक प्राचीन वैदिक शहर यमिदग्निपुर है वैदिक स्त्रोतों के अनुसार महर्षि यमदग्नि ने यहाँ गोमती नदी (आदि गंगा) के किनारे अपना आश्रम बनाया था। यह आश्रम वर्तमान के जौनपुर व जाफराबाद के बीच दाहिने किनारे पर स्थित था। यहाँ के जमैथा गांव में आज भी महर्षि यमदग्नि का मंदिर विधामान है।

कनिंघम द्वारा जौनपुर का वर्णन 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने जौनपुर का प्राचीन नाम जमदग्निपुरा और यवनपुरा बताया है। यवनपुरा कालयवन का अपभ्रंश है। लाल दरवाजा मस्जिद जिसे लाल मस्जिद भी कहते है इस मस्जिद के एक खंभे पर संस्कृत में यमोनिदमपुरा या अयोत्थमपुरा नाम कंनिघम ने पढा था जिससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

कन्नौज के राष्ट्रकूट शासकों का प्रमुख केन्द्र 

जौनपुर कन्नौज के राष्ट्रकूट शासकों के अधीन राज्य था, जौनपुर में इन राष्ट्रकूट शासकों में प्रमुख नाम राजा विजय चन्द्र राठौर, राजा जयचन्द्र राठौर व हरिश्चन्द्र राठौर का नाम प्रमुख मिलता है। इन राष्ट्रकूट शासकों ने अटाला देवी मंदिर, बडी देवी मंदिर व पदमेश्वर मंदिर का निर्माण जौनपुर शहर में करवाया था। राजा विजयचन्द्र राठौर ने विजय मंदिर व विजय ताल का निर्माण करवाया था।

                               अटाला मस्जिद (अटाला देवी मंदिर या देवल अटाला)

अटाला देवी मंदिर को राजा जयचन्द्र राठौर और उनके बेटे राजा हरिश्चन्द्र राठौर ने बनवाया था। फिरोज शाह शर्की ने जब अटाला देवी मंदिर को देखा तो उसे तोडने का आदेश जारी किया, हिन्दुओं अटाला देवी के मंदिर को बचाने के लिए कडा संघर्ष किया, कनिंघम ने लिखा है कि हिन्दू अटाला देवी मंदिर को बचाने के लिए आसपास के चारों तरफ के क्षेत्रों से जमा हो गये और मुसलमानों पर उग्र आक्रमण कर दिया, इस युद्ध में हिंदू विजयी रहे और मुसलमानों के बचने का कोई रास्ता नहीं बचा। शर्की सेना ने पुनः आक्रमण किया और हिन्दुओं ने पुनः युद्ध किया यह युद्ध इतना भयानक था कि गोमती नदी का पानी खून से लाल हो गया। यह युद्ध निर्णायक नहीं रहा हिदूओं व मुसलमानों के बीच एक समझौता हुआ जिसमें मुसलमानों ने अटाला देवी मंदिर को न तोडने का वचन दिया। इसके बाद इब्राहीम शाह शर्की ने महमूद शाह शर्की का वचन तोडते हुए अटाला देवी मंदिर पर अवैध कब्जा कर लिया और मंदिर का उपयोग मस्जिद के रूप में करने लगा। अटाला देवी मस्जिद ही अटाला देवी मंदिर का मूल भवन है। अटाला देवी मस्जिद की शिल्पकला हिंदू शिल्पकला है और आज भी इसके भवन पर हिंदू मंदिर होने के प्रमाण स्थित है।

अटाला देवी की प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति की रक्षा हिंदुओं ने की

इब्राहीम के अटाला देवी मंदिर पर अवैध कब्जे से पहले हिन्दू माता अटाला देवी के विग्रह को मंदिर से निकालकर सुरक्षित ले गये और गोमती नदी के किनारे अचला देवी के नाम से स्थापित कर दिया।

माता अटाला देवी की मूर्ति आज भी अचला देवी मंदिर में विराजमान है।

अटाला देवी की मूर्ति


गोमती नदी के किनारे बने अचला देवी मंदिर में आज भी माता अटाला की पूजा होती है, माता अटाला की मूर्ति को शर्की शासकों की धर्मान्धता से बचाने के लिए अचला देवी नाम से पहचान बदलकर पूजा करने लगे।

अचला देवी मंदिर के विग्रह देखने से 1000 साल से ज्यादा पुराने लगते है।

जौनपुर निवासी श्री अनिमेष सिंह ने अचला देवी के विग्रहों के कुछ फोटो उपलब्ध करवाये है जिनके अनुसार यह विग्रह देखने से ही 1000 साल से ज्यादा पुराने लगते है। इसमें माता अटाला, देवी दुर्गा, गणेश, शिव लिंग, नंन्दी इत्यादि के विग्रह विराजमान है। 

दुर्गा की मूर्ति

शिवलिंग

शिवलिंग व नंदी



विग्रह

गणेश की मूर्ति

हनुमान जी

मंदिर का भाग


जौनपुर के खोये वैभव की पुर्नस्थापना में प्रयासरत

जौनपुर का अस्तित्व वैदिक काल से है यह राज्य बहुत विकसित राज्य था जोकि राष्ट्रकूट शासकों के काल में अपने पूर्ण वैभव पर था जोकि मुस्लिम आक्रमणों से मुरझा गया। हम इसके खोये वैभव की पुर्नस्थापना में प्रयायरत है और इस दिशा में लगातार अनुसंधान जारी है। 

अनुसंधानर्ता- अजय प्रताप सिंह, एडवोकेट व अनिमेष सिंह
योगेश्वर श्रीकृष्ण सनातन धर्म सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट

लेखक- 
अजय प्रताप सिंह, 
एडवोकेट, 
उच्च न्यायालय इलाहाबाद, 
प्रयागराज

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