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Chapter-XIII, Book- Maasir-e-alamgiri |
आगरा: आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे आज भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर, मथुरा के श्रीकृष्ण-रुक्मणी(रमा-बल्लभ) की प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियां दबी है। योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि आगरा के लघुवाद न्यायालय में योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट का आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे प्रभु श्री कृष्ण व माता रुक्मणी की प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों को निकलवाने हेतु एक "सिविल वाद संख्या-659/2023(पुराना केस संख्या-926/2023) श्री भगवान श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि" विचाराधीन है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 27 जनवरी वर्ष 1670 ई( 15 वें रमजान के दिन) को औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को तोड़ने का आदेश जारी किया और मंदिर के माता रुक्मणी और प्रभु श्रीकृष्ण की प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों को आगरा की जामा मस्जिद(बेगम-साहिब की मस्जिद) की सीढ़ियों के नीचे हमेशा मस्जिद में चढ़ते उतरते पैरों से कुचलने के लिए दबबा दिया। माता रुक्मणी और प्रभु श्रीकृष्ण की प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियों को मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबवाने का उद्देश्य मात्र सनातन धर्मावलंबियों(आर्य संस्कृति ) को अपमानित करने का उद्देश्य था। इस सम्पूर्ण घटना का उल्लेख औरंगजेब के दरबारी सकी मुश्ताद खान की पुस्तक "मासिर-ए-आलमगीरी" की चैप्टर-13 में दिया गया है जिसका अनुवाद सर जदुनाथ सरकार ने किया है। ट्रस्ट के अध्यक्ष अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे प्रभु श्रीकृष्ण व माता रुक्मिणी के प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियों को निकालने हेतु योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट की पूरी टीम लगातार संघर्षरत है।
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