ताजमहल को तेजोमहादेव या तेजोलिंग महादेव मंदिर की उद्घोषणा का सिविल वाद दायर।

 

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दिनाँक-27-03-2024 को योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताते हुए आगरा सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में केस दायर किया। ट्रस्ट के अध्यक्ष व वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को एक RTI दायर कर पूछा था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ, कब खत्म हुआ और  ताजमहल के भवन की आयु क्या है? जिसका ASI ने जबाब देते हुए बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते है। ASI के कहे अनुसार अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने ताजमहल के विषय में अनुसंधान करना शुरू किया जिसमें उन्होंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, ASI के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण इत्यादि पढ़े जिनमें यह सामने निकलकर आया कि शिव सहस्त्र नाम स्त्रोत के अनुसार तेजो नाम शिवजी का है, विश्वकर्मा प्रकाश में तेजोलिंग बेरनिर्माण का वर्णन है संस्कृत में बेर का अर्थ मंदिर होता है। एपिग्राफिका इंडिका में बटेश्वर शिलालेख के अनुसार राजा परमाल देव ने फिटकरी के समान सफेद रंग का शिवजी का मंदिर 1194 ई में बनवाया था। ताजगार्डेन जिसका मूल नाम चारबाग है जिसके निर्माण का वर्णन बाबर ने अपनी पुस्तक बाबरनामा में किया है, बाबर ने अपनी पुस्तक में ताजमहल के नीचे कुओं के निर्माण का भी वर्णन किया है, हुमायूंनामा में ताजमहल का उल्लेख है। आगरा गजेटियर, ASI बुलेटिन और रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के जनरल के अनुसार ताजमहल का शिल्पकार विवादित है। वर्ष 1946 के ASI के बुलेटिन में ASI के महानिदेशक माधोस्वरूप वत्स के लेख रिपेयरिंग ऑफ ताजमहल में लिखा है कि ताजमहल का शिल्पकार एक विवादित तथ्य है जब 1652 के औरंगजेब के एक पत्र के अनुसार ताजमहल के शिल्पकारों के पास ताजमहल में वर्षा ऋतु में जो रिसाव हुआ था उसकी मरम्मत के कोई सुझाव उपलब्ध नहीं थे, जब ASI ने ताजमहल के मुख्य गुम्बद की मरम्मत शुरू की तो ASI को अंदर से गुम्बद गोलाकार नहीं मिला उसमें जगह जगह चूना पत्थर भरे गए थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी पीटर मुंडी ने वर्ष 1632 में ताजगंज के बाजार का उल्लेख किया है जबकि उस समय ताजमहल का निर्माण शुरू हुआ था। अलेक्जेंडर कनिंघम की रिपोर्ट में ताजमहल के भीतर उन्हें ब्लैक बेसाल्टिक पिलर मिला था जिसपर कछुआ बना था जोकि जैन धर्म के तीर्थंकर मुनिश्र्वरनाथ का चिन्ह है। शाहजहां के प्रेम कहानी का वर्णन कासिम अली अफरीदी ने किया है जिसका जन्म वर्ष 1771 व मृत्यु 1827 में हुई जबकि ताजमहल के कथित निर्माण 1632 में हुआ । आगरा गजेटियर और बुरहानपुर गजेटियर में मुमताज महल की मृत्यु के वर्ष में अंतर है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है जिसे तेजो महालय कहते थे। वाद में, श्री भगवान श्री तेजोमहादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी है एवं सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, महानिदेशक ASI, अधीक्षक ASI आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि 1 जनवरी 2024 को यह केस फाइल किया था जिसमें माननीय न्यायालय ने धारा 80(1) सिविल प्रकिया संहिता की कार्यवाही पूरी करने को कहा था जिसकी समय सीमा 2 माह की होती है, अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने सभी विपक्षीगणों को धारा 80(1) सिविल प्रक्रिया संहिता के अधीन नोटिस भेज दिया था जिसकी 2 माह की समयसीमा की अवधि भी गुज़र चुकी है और 27 मार्च 2024 को यह वाद दायर किया है। अभी तक इसमें 9 अप्रैल, 29 अप्रैल सुनवाई की तिथि लग चुकी है व अगली सुनवाई की तिथि 21 मई 2024 निर्धारित की गई है। 29 अप्रैल की सुनवाई के दौरान कॉमरेड भजनलाल ने प्रतिवादी बनने के लिए आदेश 1 नियम 10 सिविल प्रक्रिया संहिता में एक प्रार्थना पत्र दिया है। तेजोमहादेव का केस माननीय न्यायाधीश श्रीमती शिखा सिंह के न्यायालय जूनियर डिवीजन 6 आगरा में विचाराधीन है।

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