अबू धाबी का BAPS हिन्दू मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर मथुरा की शिल्पकला और इस्लामिक सिंद्धात।

BAPS Hindu Mandir at Abu Dhabi [Source: https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/7/7b/BAPS_Abu_Dhabi_Mandir.jpg]

आज भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अबू धाबी में BAPS हिन्दू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। अबू धाबी जैसे इस्लामिक देश में एक हिन्दू मंदिर सभी भारतीयों के लिए अंचभित करने वाली घटना है जबकि भारत का ऐतिहासिक अनुभव अलग है जहाँ अपने ही देश में ईश्वर को स्वंय अपना अस्तित्व न्यायालय में जाकर सिद्ध करना पडता हो। दरअसल अबू धाबी में BAPS हिन्दू मंदिर की स्थापना इस्लामिक सिद्धांतो के अनुकूल है हम क्रमशः इसको समझते है- 

अबू धाबी के BAPS हिन्दू मंदिर की शिल्पकला 

अबू धाबी का BAPS हिन्दू मंदिर भगवान स्वामीनरायण, राधा-कृष्ण, राम-सीता, शिव-पार्वती, जगन्नाथ, वेंकेटेश्वरा व अयप्पा भगवान को समर्पित है। इस मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौडाई 180 फीट व ऊँचाई 108 फीट है इसके ऊपर दो गुंबद और सात शिखर है। यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना है मंदिर के भवन पर रामायण, शिव पुराण, भागवत, महाभारत से संबधित घटनाओं की नक्काशी उकेरी गयी है और जगन्नाथ, स्वामी नरायण, वेकेटेश्वरा व अयप्पा भगवान के जीवन की घटनाओं को चित्रित किया गया है। मंदिर के भवन पर जानवरों जैसे कि घोडे व ऊँट की नक्काशी की गयी है।

राजा वीरदेव सिंह बुंदेला द्वारा निर्मित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर(कटरा केशवराय) मथुरा की शिल्पकला 

राजा वीरदेव सिंह बुंदेला  ने मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का निर्माण वर्ष 1618 ई० में करवाया था इसे केशवराय मंदिर भी कहते थे। श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को वर्ष 1659 ई० में फ्रैंच यात्री व व्यापारी जीन वैप्टिस्ट टैवरनियर ने देखा व अपनी पुस्तक Travels in India में श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर का आँखों देखा वर्णन किया है। टैवरनियर ने बताया है कि मंदिर के ऊपर तीन गुंबद है। मंदिर के भवन पर जानवरों जैसे कि बंदर, मेंढें, हाथी की नक्काशी गयी है और राक्षसों जिनके चार हाथ व चार पैर है व पुरूषों की आकृतियों की नक्काशी की गयी है। 

अबू धाबी का मंदिर इस्लामिक सिद्धातों के अनुकूल है। 

वर्ष 628 ई० में पैगंबर मोहम्मद साहब ने आधिकारिक तौर पर अन्य धर्मों के लिए एक चार्टर (मोहम्मद साहब के हाथ का प्रतिनिधित्व करने वाली छाप के साथ सील) पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे अली (पैगंबर मोहम्मद साहब के आयुक्त) द्वारा लिखा गया था जिसे मुहम्मद के अस्थिनाम(Ashtiname) के रूप में जाना जाता है, जिसे मुहम्मद की वाचा या वसीयत( covenant or testament ) के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने अपने अनुयायियों को इस प्रकार आदेश दिया (अंग्रेजी अनुवाद)- This is a message from Muhammad bin Abdullah, as a covenant to those who adopt Christianity, near and far, we are with them. Verily, the servants, the helpers, my followers, and I defend them because Christians are my citizens; and by Allah! I hold out against anything that displeases them. No compulsion is to be on them. Neither are their judges to be removed from their jobs nor their monks from their monasteries. No one is to destroy a house of their religion, to damage it, or to carry anything from it to the Muslims’ houses. Should anyone take any of these, he would spoil God’s covenant and disobey His Prophet. Verily, they [the Christians or other religions] are my allies and have my secure charter against all that they hate. No one is to force them to travel or to oblige them to fight. The Muslims are to fight for them. If a female Christian is married to a Muslim, it is not to take place without her approval. She is not to be prevented from visiting her church to pray. Their churches are to be respected. They are neither to be prevented from repairing them nor the sacredness of their covenants. No one of the nation [Muslims] is to disobey the covenant till the Last Day [end of the world]. 

मोहम्मद साहब ने यह आदेश वर्ष 628 ई० में मिश्र के माउंट सिनाई के सेंट कैथरीन चर्च में दिया था। मोहम्मद साहब सभी मुसलमानों के लिए सर्वोच्च है जिन्होनें अल्लाह के संदेश को सभी मुसलमानों तक पहुँचाया, इस कारण अबूधाबी का BAPS हिन्दू मंदिर इस्लाम के सिद्धांतो के अनुकूल है। BAPS हिन्दू मंदिर की शिल्पकला और वर्ष 1618 ई० राजा वीरदेव सिंह बुंदेला द्वारा निर्मित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर(केशवराय) मथुरा की शिल्पकला की समानता हिन्दू शिल्पकला की श्रेष्ठता का अनुपम उदाहरण है।

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